prakhar srivastava bahraich
Tuesday, 7 February 2023
Prakhar Srivastava Bahraich
Prakhar Srivastava Bahraich
प्रखर श्रीवास्तव
जिलाध्यक्ष- कायस्थ युवा मंच, बहराइच (उ०प्र०)
Smt. Anupma Jaiswal MLA
माननीय अनुपमा जायसवाल जी
पूर्व बेसिक शिक्षा मंत्री / सदर विधायक बहराइच
Tuesday, 10 August 2021
Friday, 28 May 2021
Monday, 22 July 2019
#chandrayaan_2
#चन्द्रयान-2
#kavi Ashutosh Srivastava
#कवि आशुतोष श्रीवास्तव
#prakhar Srivastava bahraich
#प्रखर श्रीवास्तव बहराइच
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भारत ने अपने चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) का सफलतम प्रक्षेपण कर अंतरिक्ष में अपना परचम फिर फहरा दिया है। इस मिशन पर पूरी दुनिया की निगाह थी। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ने इसरो (ISRO) ने फिर से खुद को स्थापित कर दिया है। आपको बता दें कि इसरो की सफलता दर विश्व की दूसरी स्पेस एजेंसियों की तुलना में कहीं बेहतर है। इतना ही नहीं इसरो के यान जीएसएलवी मार्क 3 (GSLV Mark 3) की सफलता दर तो 100 फीसद है।
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भारत ने अपने चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) का सफलतम प्रक्षेपण कर अंतरिक्ष में अपना परचम फिर फहरा दिया है। इस मिशन पर पूरी दुनिया की निगाह थी। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ने इसरो (ISRO) ने फिर से खुद को स्थापित कर दिया है। आपको बता दें कि इसरो की सफलता दर विश्व की दूसरी स्पेस एजेंसियों की तुलना में कहीं बेहतर है। इतना ही नहीं इसरो के यान जीएसएलवी मार्क 3 (GSLV Mark 3) की सफलता दर तो 100 फीसद है।
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इस मिशन पर आज भले ही भारत अकेला निकला हो लेकिन कुछ वर्ष पहले इस महत्वाकांक्षी मिशन के लिए भारत और रूस की स्पेस एजेंसी ROSCOSMOS के बीच समझौता हुआ था। यह समझौता 2007 में हुआ था जिसके मुताबिक 2013 में यह मिशन भेजना था। समझौते के तहत रूस को इस मिशन के अहम हिस्से पेलोड लैंडर (Payload Lander) को बनाना था, जबकि भारत को इस मिशन के लिए रोवर और ओर्बिटर तैयार करना था। लेकिन, रूस की तरफ से जो लैंडर भेजा गया वह इसरो की जरूरत के मुताबिक नहीं था।
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इतना ही नहीं इसके बाद भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने खुद अपने दम पर इस मिशन को पूरा करने का फैसला लिया था। हालांकि कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के इस महत्वाकांक्षी मिशन में नासा और यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (Nasa and European Space Agency) भी सहयोग करने के लिए इच्छुक थी, लेकिन इसरो ने एकला चलो की नीति अपनाते हुए इसको अकेले ही पूरा करने की ठानी और 22 जुलाई 2019 को पूरा कर भी दिखाया।
इसरो और इस मिशन की बात करे तो आपको यहां पर ये भी बता दें कि चीन, अमेरिका और रूस ने जिस कीमत पर अपने मून मिशन को पूरा किया है उसकी तुलना में भारत ने यह बेहद कम में पूरा कर दिखाया है। इस सफलता के बाद भारत इन तीन प्रमुख देशों के उस ग्रुप से जुड़ गया है जिसने चांद (384,600 किमी या 239,000 मील) पर सफलतापूर्वक मिशन भेजा है।
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